दुकान एवं प्रतिष्ठान हेतु वास्तु विचार
दुकान एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सम्बन्ध में निम्न तथ्यों को ध्यान में रखकर सञ्चालन किया जाये तो अर्थ लाभ की सम्भावना ज्यादा होती है |
1.दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान में पूर्व या उत्तर मुख करके बैठना चाहिए | यदि बाज़ार दक्शिनाभिमुखी दुकानों वाला हो तथा आमने सामने दुकानें हो तो दोष नहीं लगता |
2.गौमुखी दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान वाणिज्य कार्यों के लिए साधारण लाभदायक होते है |
3.दुकान का भाग आगे से चौड़ा व पीछे से सकरा होने पर सिंह मुखी होता है या व्यापर व फैक्ट्री के लिए श्रेष्ठ होता है | 4.चतुष्कोण वर्गाकार शुभ होता है |
5.त्रिकुट टेढ़ी – मेढ़ी ईशान कोण को छोड़कर अन्य कोण वृद्धि वाली दुकानें वाणिज्य, व्यापारिक प्रतिष्ठान अशुभ होते हैं | एसी स्थिति में मानसिक अशांति एवं धन हानि होती है |
6. दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान पर देहली नहीं रखना चाहिए तथा प्रवेश द्वार की ओर ढलान या झुकाव शुभ नहीं है इससे व्यापर अस्थिर रहता है |
7. दुकान एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान का द्वार स्वच्छ एवं सुन्दर होना चाहिए| 8. गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा दाहिनी ओर अथवा ईशान कोण में स्थापित करना शुभ रहता है |
9. दुकान में स्वास्तिक चिन्ह शुभ-लाभ, रिद्धि-सिद्धि लिखना चाहिए | कैश काउंटर उत्तर मुख शुभ होता है |
10.कैश बॉक्स को कभी रिक्त नहीं रखना चाहिए |
11. प्रातः सांय धूप-दीप जलाकर अपने इष्टदेव का स्मरण करे |
12. दुकान के आगे वृक्ष या खम्बा होने से वेध के कारन व्यापार में बाधा रूकावट आती है ,अतः वेध होना अशुभ होता है |
13. उत्तर पूर्व दिशा में दुकान का सामान कम अथवा हल्का रखना चाहिए | भारी सामान दक्षिण पश्चिम दिशा में शुभ होता है |
14. उत्तर पूर्व खाली रखते हुए देव आराधना के लिए शुभ होता है |
15.घर में अखंड रूप से श्री रामचरितमानस के नौ पाठ करने से वास्तुजनित दोष की शांति होती है |
16.मुख्यद्वार के ऊपर सिन्दूर से स्वस्तिक चिन्ह बनवाये |यहचिन्ह नौ अंगुल चौड़ा तथा नौ अंगुल लम्बा होना चाहिए | घर दुकान में जहाँ जहाँ वास्तु दोष हो वहां वहां स्वस्तिक चिन्ह बनाया जा सकता है |